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ईद की नमाज़ का तरीका और ईद के दिन की सुन्नतें2020




ईद की नमाज़ का तरीका और ईद के दिन की सुन्नतें 

अस्सलामुअलैकुम भाइयो और बहनो , इस पोस्ट में हमने बताया है ईद की नमाज़ का तरीका  Eid Ki Namaz Ka Tarikaयानी ईदुल फ़ित्र और ईदुल अज़्हा की नमाज़ पढ़ने का तरीका इस पोस्ट में सब कुछ क्लियर बताया गया है की घर पर ईद कि नमाज़ ( ghar par eid ki namaz  ) कैसे होगी ! और औरतो की ईद की नमाज़ ( aurat ki eid ki namaz ) का क्या तरीका है !  ईदुल फ़ित्र ( Eid-ul-fitr ki Namaz)  और ईदुल अज़्हा ( Eid-ul-Azha ki Namaz ) की नमाज़ का तरीका एक जैसा ही है बस वक़्त बदल जाता है ! अब जानते है ईद की नमाज़ पढ़ने का तरीकाईद की नमाज़ पढ़ने का तरीका – सबसे पहले ईद की नमाज़ की नियत करेंगे ! नियत इस तरह से करेंगे You Also Read Namaz Ka Tarika


Eid Ki Namaz Ki Niyat – ईद की नमाज़ की नियत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ वाजिब ईदुल फित्र की मय ज़ाइद 6 तकबीरों के, वास्ते अल्लाह तआला के, पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, इतना कहकर दोनों हाथ कानों तक उठाए और फिर अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध ले !फिर सना पढ़ेंगे सना के अलफ़ाज़ इस तरह से होंगे सना-*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*सना पढ़ने के बाद फिर कानो तक हाथ उठाए और अल्लाहु अकबर कहता हुआ हाथ छोड दे, फिर दूसरी बार कानों तक हाथ उठाए और अल्लाहु अकबर कहकर हाथ छोड दे, फिर तीसरी बार हाथ उठाए और अल्लाहु अकबर कह कर बाँध लें, और इमाम जो भी पढ़े ! उसे खामोशी के साथ बिना हिले डुले अच्छे से सुने इमाम साहब अऊजु बिल्लाह, बिस्मिल्लाह और सूरए फातिहा और कोई सूरत पढे ! मुक्तदी खामोश रहे यानी इमाम साहब के पीछे पढ़ने वाले खामोश रहे ! फिर इमाम साहब के पीछे रुक्रू व सज्दे करे, जब दूसरी रकअत के लिये खड़े हो तो
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है। इस माह की पहली चांद रात ईद की  चांद रात होती है। इस रात का इंतजार वर्षभर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही इस्लाम के बड़े त्योहार ईद-उल-फितर का ऐलान होता है।

इस तरह से यह चांद ईद का पैगाम लेकर आता है। इस चांद रात को 'अल्फा' कहा जाता है। जमाना चाहे जितना बदल जाए, लेकिन ईद जैसा त्योहार हम सभी को अपनी जड़ों की तरफ वापस खींच लाता है और यह अहसास कराता है कि पूरी मानव जाति एक है और इंसानियत ही उसका मजहब है।

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